रविवार को तुलसी के पत्ते तोडना और छूना क्यों मना है?
इस बात से हर कोई वाकिफ है कि हिन्दू धर्म में तुलसी को बहुत महत्व दिया जाता है। अगर कोई जानना चाहता है कि तुलसी का और तुलसी के पौधे का क्या महत्व है तो पुराणों में इसका पूरा उल्लेख दिया गया है। पुराणों में तुलसी को जल देने से लेकर उसकी पूजा कैसे की जानी चाहिए सभी बताया गया है। ऐसे बहुत से कम लोग है जो इस बात से वाकिफ हो कि सप्ताह में एक ऐसा दिन भी होता है जिस दिन तुलसी को छूना तक मना है। आज के लेख में जानिए आखिर क्यों रविवार को तुलसी को छूना तक वर्जित है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि तुलसी श्रीहरि यानि कि भगवान् विष्णु को अति प्रिय है। इसलिए तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए गुरूवार का दिन भी श्रेस्ठ माना जाता है। लेकिन ऐसी कई मान्यताएं है जिसके अनुसार ऐसा माना जाता है कि रविवार ऐसा वार है जो कि भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय है। तुलसी भी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। यही कारण है जिसके चलते रविवार को तुलसी को तोडना एवं छूना वर्जित है।
जो व्यक्ति रविवार को तुलसी तोड़ता है उसपर भगवान विष्णु क्रोधित हो जाते है।संक्रांति, द्वादशी, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण एवं संध्याकाल में भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग के कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योकि ऐसा करने से तुलसी के पत्तों को नष्ट करना माना जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है तुलसी के पत्ते 11 दिनों तक बासी नहीं होते है। तुलसी की पत्तियों पर पुनः जल छीनकर भगवान को अर्पित की जा सकती है। इसलिए रोजाना तुलसी के पत्तों को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है।
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