कब से शुरू हो रहा है माघ का पवित्र महीना? कैसे करे भगवान की उपासना
माघ का पावन महीना 29 जनवरी 2021 से शुरू हो चूका है। पौष मास का समापन हो चूका है। माघ माह का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व भी है। माघ के महीने में पवित्र नदी में स्नान, दान आदि करने का अधिक महत्व माना जाता है। माघ के महीने में भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने का बहुत महत्व माना जाता है। माघ माह में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में कल्पवास करने का बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि माघ मास में ही युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए अपने सगे संबंधियों को सदगति दिलाने के लिए कल्पवास किया था।
कब तक रहेगा माघ मास
इस वर्ष माघ मास का समापन 27 फरवरी 2021 को होगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ माह को साल का ग्यारहवां महीना माना जाता है।
माघ माह में सूर्य देव की आराधना करने का क्या महत्व है?
ऐसी मान्यता है कि माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस ऊर्जा की वजह से मनुष्य कई प्रकार के रोगो से बच जाता है। इसी के साथ माघ मास में अगर कोई व्यक्ति अनुशासित जीवन शैली को अपनाता है तो उसे कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। माघ का महीना आते आते दिन बड़े और राते छोटी होने लगती है।
भगवान विष्णु एवं सूर्य देव की उपासना करने का पवित्र महीना
माघ के महीने में भगवान विश्न और सूर्य देव की उपासना करने से विशेष महत्व की प्राप्ति होती है। अपने पापों से मुक्ती पाने के लिए माघ स्नान, दान और सूर्य पूजा बहुत फायदेमंद होती है। माघ के महीने में सूर्य मन्त्र और गायत्री मन्त्र का जाप करना चाहिए।
माघ के महीने में उठाना चाहिए धुप का लाभ
अगर कोई व्यक्ति माघ मास में धूप लेता है तो उसे कई प्रकार की सेहत सम्बंधित परेशानियों से निजात मिलता है। इसी वजह से इस महीने में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। जैसा कि हम जानते है कि सूरज की रोशनी हमे कई प्रकार के रोगों से बचाती है। विटामिन डी के लिए सूर्य की रोशनी सबसे अच्छा कारण है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो उसे कैंसर जैसी बड़ी बिमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है। विटामिन डी की कमी की वजह से लोगों को तरह तरह की बीमारियां होने लगती है। जो बच्चे सर्दियों के मौसम में जन्मे है उन्हें यह धुप जरूर देखनी चाहिए। बच्चों को यह धूप दिखाने से निमोनिया और सर्दी खासी जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है। बड़े बुजुर्गों को भी इस धुप में बैठना चाहिए ताकि उन्हें हड्डियों से जुडी हुई परेशानियों से आराम मिल सके।
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