कैसे जाने की आपकी कुंडली में विदेश जाने के योग है या नहीं?
क्या आप जानते हैं कि जातक जन्मकुंडली में कई योग संयोग देखकर पता लगाया जा सकता है कि उसके जीवन में विदेश यात्रा का अवसर है या नहीं।
यदि मेष लग्न में लग्नेश तथा सप्तमेश जन्म कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या उनमें परस्पर दृष्टि संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है। इसी तरह मेष लग्न में शनि अष्टम भाव में स्थित हो तथा द्वादशेश बलवान हो तो जातक कई बार विदेश यात्राएं करता है।
मेष लग्न, लग्नेश तथा भाग्येश अपने-अपने स्थानों में हों या उनमें स्थान परिवर्तन योग बन रहा हो तो निश्चित विदेश यात्रा के योग बनते हैं। मेष लग्न में अष्टम भाव में बैठा शनि जातक को जन्म स्थान से दूर ले जाता है तथा बार-बार विदेश यात्राएं करवाता है।
इसी तरह वृष लग्न में सूर्य तथा चंद्रमा द्वादश भाव में हो तो जातक विदेश यात्रा तो करता ही है बल्कि विदेश में ही व्यापार-व्यसाय में सफल होता है। वृष लग्न का शुक्र केंद्र में हो और नवमेश नवम भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग होता है।
वृष लग्न के साथ शनि अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक अनेक बार विदेश जाता है। वृष लग्न में भाग्य स्थान या तृतीय स्थान में मंगल राहु के साथ स्थित हो तो जातक सैनिक के रूप में विदेश यात्राएं करता है। वृष लग्न में राहु लग्न, दशम या द्वादश में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
यदि मिथुन लग्न के साथ लग्नेश तथा नवमेश का स्थान परिवर्तन योग हो तो विदेश यात्रा योग बनता है। मिथुन लग्न के साथ यदि शनि वक्री होकर लग्न में बैठा हो तो कई बार विदेश यात्राएं के योग बनते हैं। यदि लग्न में राहु अथवा केतु अनुकूल स्थिति में हों और नवम भाव तथा द्वादश स्थान पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
कर्क लग्न के जातकों का
लग्नेश व चतुर्थेश बारहवें भाव में स्थित होने पर निश्चित जातक को विदेश यात्रा का अवसर मिलता है। कर्क लग्न यदि लग्नेश नवम भाव में स्थित हो और चतुर्थेश छठे, आठवें या द्वादश भाव में हो तो कई विदेश यात्राएं होती हैं। लेकिन यदि लग्नेश बारहवें स्थान में हो या द्वादशेश लग्न में हो तो काफी संघर्ष के बाद विदेश यात्रा होती है।
सिंह लग्न में गुरु, चंद्र 3, 6, 8 या 12वें भाव में बैठे हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। सिंह लग्न के जातकों में लग्नेश के द्वादश भाव में स्थित ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है। सिंह लग्न हो तथा मंगल और चंद्रमा की युति द्वादश भाव में हो तो विदेश यात्रा होती है। यदि सिंह लग्न स्थान में सूर्य बैठा हो व नवम व द्वादश भाव शुभ ग्रह हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
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