नवरात्रि के दूसरे दिन करे माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
आज नवरात्र का दूसरा दिन है और नवशक्ति का दूसरा रूप है ब्रह्मचारिणी माँ का। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। इन्होने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इसी कारण से इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। यह हमेशा कठोर साधना और ब्रह्म में लीं रहती थी इसी कारण से इन्हे ब्रह्मचारिणी कहा गया है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए बहुत ही शुभ फलदायी होती है। जिनका स्वाधिस्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना अंत्यंत अनुकूल रहती है।
जानिये क्या है माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि?
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माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना के समय पीले अथवा सफ़ेद वस्त्र धारण करे।
- इनको सफ़ेद वस्तुएं अर्पित करे, जैसे कि मिश्री, शक़्कर या पंचामृत।
- ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है।
- वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें।
- जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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