रंगभरी एकादशी 6 मार्च: काशी विश्वनाथ में दूल्हे से सजेंगे भोलेनाथ
जो एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है उसे रंगभरी एकादशी के नाम से जानी जाती है। रंगभरी एकादशी के अलावा इसे आमलकी एकादशी भी कहते है। इस साल रंगभरी एकादशी 6 मार्च के दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
कहा जाता है रंगभरी एकादशी के दिन भगवान् शिव की नगरी काशी के लिए एक बहुत ही ख़ास दिन होता है। इस एकादशी के दिन भगवान् शिव और माता गौरी और अपने गणो के साथ में रंग गुलाल से होली खेलते है। इसे खेलने के पीछे एक विशेष बात भी है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता गौरी के वैवाहिक जीवन के लिए एक बहुत ही ख़ास महत्व होता है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
काशी में बाबा विश्वनाथ का रंगभरी एकादशी के दिन बहुत ही विशेष श्रृंगार किया जाता है और बाबा को दूल्हे के स्वरूप में सजाया जाता है। इसके बाद में बाबा विश्वनाथ का गौरी माता के साथ में गौना कराया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। इस ख़ुशी के दिन भोलेनाथ के गणों ने रंग और गुलाल उड़ाते हुए बहुत खुशियां मनाई गई थी। तब से हर साल रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग गुलाल से होली खेलते है और गौरी माता का गौना कराया जाता है।
जाने कब है होली, होलिका दहन के समय करे यह उपाय
रंगभरी एकादशी का मुहूर्त
इस साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 5 मार्च के दिन गुरूवार को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है, यह अगले दिन शुक्रवार यानी कि 6 मार्च को 11 बजकर 47 मिनट तक है। ऐसे में रंगभरी एकादशी 6 मार्च शुक्रवार को मनाई जाएगी।
कब है होलाष्टक: 2 मार्च को लगेगा होलाष्टक, 8 दिनों के लिए शुभ कार्य नहीं होंगे
रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा स्थान पर भगवान शिव और माता गौरी की मूर्ती स्थापित करे। इसके बाद में माता गौरी और भगवान शिव जी को अक्षत, धुप, पुष्प, गंध आदि से पूजा अर्चना करे। यह सब करने के बाद में माता गौरी और भगवान शिव जी को रंग तथा गुलाल अर्पित करे। फिर घी के दीपक या कपूर से दोनों की आरती करें। पूजा के समय माता गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करें, तो यह खुशहाल जीवन के लिए शुभ होगा।
Like and Share our Facebook Page.
Comments (0)