क्या है भगवान श्रीकृष्ण की तीन माताओं का रहस्य

क्या है भगवान श्रीकृष्ण की तीन माताओं का रहस्य

भगवान श्रीकृष्ण की छवि हर किसी की आँखों में बसी रहती है। हर किसी के लिए भगवान श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व बहुत ही रहस्यमयी है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के रूप में संसार को एक बहुत ही बेहतरीन ज्ञान दिए है जिसमे धर्म, दर्शन और अध्यात्म की सारी धाराए समाहित है। आइये जानिये उनकी तीन माताओं के बारे में।  
देवकी 
देवकी भगवान श्रीकृष्ण की सगी माँ है जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण को जन्म दिया था। यह मथुरा के राजा कंस के पिता महाराजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या है। इनको अदिति का अवतार भी माना जाता है। इनका विवाह वसुदेव से हुआ। इसलिए श्रीकृष्ण के देवकीनंदन और वासुदेव भी कहते हैं।
रोहिणी 
रोहिणी वासुदेव की दूसरी पत्नी है। जो कि बलराम, एकांगा और सुभद्रा की माता थी। ऐसी मान्यता है कि रोहिणी ने देवकी के सातवे गर्भ को धारण कर लिया था और उसी से बलराम की उत्पत्ति हुई थी। ये यशोदा माता के यहां रहती थीं। भगवान् श्री कृष्ण की परदादी 'मारिषा' व सौतेली मां रोहिणी 'नाग' जनजाति की थीं।
यशोदा 
माता यशोदा ने श्रीकृष्ण का लालन पालन किया था इसलिए उन्हें सगी माँ से भी बढ़कर दर्जा दिया है। क्योकि यशोदा भगवान श्रीकृष्ण की ना तो सगी माँ थी और ना ही सौतेली माँ थी। नंद की पत्नी यशोदा के पिता का नाम सुसुख और माता का नाम पाटला था।
अन्य माताएं 
श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की और भी पत्नियां थीं। जैसे पौरवी, भद्रा, मदिरा, रोचना और इला आदि। ये सभी भगवान श्रीकृष्ण की सौतेली माताएं थी।