जानिए कब होगा गुरु का तारा अस्त? शुभ कार्य फिर होंगे निरस्त
जैसा कि हम जानते है कि हिन्दू धर्म में हर कार्य एक शुभ मुहूर्त से होता है। हर कार्य को करने के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। दूसरी ओर कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभ कार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। गुरु 18 जनवरी को रात्रि 9 बजकर 30 मिनट पर पश्चिम में अस्त होगा और 12 फरवरी को मध्यरात्रि के बाद अर्थात् 13 फरवरी को सूर्योदय पूर्व रात्रि में 3 बजकर 21 मिनट पर पूर्व में उदय होगा। 13 फरवरी को ही रात्रि में 10 बजकर 51 मिनट पर शुक्र अस्त हो जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। जैसे कि विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृह प्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं। जब भी कोई शुभ कार्य होता है यानी कि शुभ और मांगलिक मुहूर्त के निर्धारण में गुरु के तारे का उदित स्वरूप में होना बहुत जरुरी होता है। गुरु के तारे के अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यों के मुहूर्त नहीं बनते।
जनवरी के संवत 2077 पौष शुक्ल पक्ष चतुर्थी दिन यानी कि, दिनांक 18 जनवरी 2021 को गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। जो कि माघ शुक्ल पक्ष द्वितीया दिनांक 13 फरवरी 2021, दिन शनिवार को उदित होगा।
कैसे 'त्रिबल शुद्धि' में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है?
जैसा कि हम जानते है कि हिन्दू धर्म में विवाह के लिए शुद्ध लग्न के निर्धारण में 'त्रिबलशुद्धि' को अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म में गुरु, सूर्य व चंद्र के शुभ गोचर को 'त्रिबलशुद्धि' कहा जाता है। 'त्रिबलशुद्धि' को लोकाचार की भाषा में 'लाल पूजा' व 'पीली पूजा' के नाम से भी जाना जाता है। यदि विवाह लग्न के चयन में 'त्रिबलशुद्धि' नहीं मिलती तो शास्त्रानुसार विवाह करना वर्जित माना जाता है।
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