आखिर क्यों सुबह के समय ही पढ़ना चाहिए धर्मग्रंथ?
आज कल भाग दौड़ की वजह से अधिकतर हिन्दुओं के पास अपने ही धर्मग्रंथ को पढ़ने की फुरसत नहीं है। वेद, उपनिषद पढ़ना तो दूर, वे गीता तक को नहीं पढ़ते जबकि गीता को 1 घंटे में पढ़ा जा सकता है। हालांकि कई जगह वे भागवत पुराण सुनने या रामायण का अखंड पाठ करने के लिए समय निकाल लेते हैं या घर में सत्यनारायण की कथा करवा लेते हैं।
लेकिन आपको यह जानकारी होना चाहिए कि पुराण, रामायण और महाभारत हिन्दुओं के धर्मग्रंथ नहीं हैं, धर्मग्रंथ तो वेद ही हैं।प्रत्येक धर्म में धर्मग्रंथों का अत्यधिक महत्व होता है, और पवित्रता एवं सम्मान की दृष्टि से इन्हें पढ़ने के लिए समय और तरीका भी उतना ही महत्व रखता है। लेकिन धर्मग्रंथों को पढ़ने के लिए सुबह और शाम का समय ही सही माना जाता है।
हिन्दू धर्म में अनेक धर्म ग्रंथ हैं, जिनका पठन धर्म के बारे में जानकारी बढ़ाने के साथ ही मनुष्य का मार्गदर्शन भी करता है। लेकिन ज्यादातर इन धर्मग्रंथों को सुबह या शाम के समय ही पढ़ा जाता है।
कई लोग अपने दिन की शुरुआत में धर्मग्रंथों को पढ़ना शुभ मानते हैं, तो कुछ लोग शाम के समय इन्हें पढ़ते हैं। इन धर्मग्रंथों को सुबह या शाम के समय पढ़ने का धार्मिक या आध्यात्मिक कारण होने के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी है।
दरअसल सुबह का समय हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर तीनों के लिहाज से लाभदायक होता है। यह सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है जिसके कारण इस समय हमारे मस्तिष्क की क्रियाशीलता और ग्रहण क्षमता अधिक होती है। साथ ही यह वो समय होता है जब आपके मस्तिष्क पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता, और पढ़ी एवं सुनी गई बातों का मन व मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसलिए धर्मग्रंथों को खास तौर से सुबह और शाम के समय पढ़ा जाता है। ताकि हमारे स्वास्थ्य और व्यवहार दोनों पर इनका सकारात्मक प्रभाव पड़े।
Comments (0)