नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा और पाए स्वास्थ्य के वरदान
आज नवरात्र का चौथा दिन है और नवरात्र में चौथे दिन माँ कुष्मांडा का पूजन होता है। ऐसा माना जाता है कि अपनी हल्की सी हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा हुआ। माँ कुष्मांडा अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। मां की आठ भुजाएं हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। आज के लेख में जानिये मां कु्ष्मांडा की पूजन विधि क्या है और इनकी उपासना से कैसे स्वास्थ्य और व्यापार में तरक्की मिल सकती है।
मां कुष्मांडा की क्या महिमा है और महत्व क्या है?
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नवरात्रि के चतुर्थ दिन शक्ति कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
- देवी कुष्मांडा कुंडली में नीच के बुध को नियंत्रित करती हैं तथा अनाहत चक्र को नियंत्रित करती है।
- मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय होने के कारण भी इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
- देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना करके नौकरी व्यापार तथा नाक कान गले से संबंधित बीमारियां दूर होती है।
- देवी कुष्मांडा की विशेष पूजा से वाणी प्रभावित होती है और आपकी वाणी द्वारा कार्य सिद्ध होता है।
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