कैसे भीष्म पितामह की गलितयों से रच गया था महाभारत का युद्ध

कैसे भीष्म पितामह की गलितयों से रच गया था महाभारत का युद्ध
Mahabharata

भीष्म पितामह करीबन 58 दिनों तक मृत्यु शैया पर लेते हुए थे जब सूर्य उत्तरायण हो गया था तब माघ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म पितामह ने अपने शरीर को छोड़ दिया था। इसलिए उस दिन को उनका निर्वाण दिवस भी कहा जाता है। आज के लेख में हम आपको बताएगे की भीष्म पितामह ने ऐसी कौनसी पांच गलतियां की थी जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ था।

जब धृतराष्ट्र ने अन्याय किया तो चुप रहे भीष्म

जैसा की हम जानते है कि पुत्रमोह के चक्कर में धृतराष्ट्र ने पांडवों के साथ में अन्याय किया था लेकिन राजा और राज सिंघासन के प्रति निष्ठा के चलते हुए भीष्म उनके साथ में बने रहे थे। जब पांडवों के साथ में इतना अन्याय हुआ तो इसके चलते ही महाभारत का युद्ध हुआ। ऐसा माना जाता है कि अगर भीष्म न्यायकर्ता होते तो इस युद्ध को टाला जा सकता था। धृतराष्ट्र ने अपने पुत्र मोह की वजह से सारे ही वंश और देश का सर्वनाश कर दिया था। अगर भीष्म चाहते तो वो धृतराष्ट्र की अंधी पुत्र भक्ति पर लगाम लगा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और दुर्योधन को गलती पर गलती करने की अप्रत्यक्ष रूप से छूट दे दी थी।

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चौसर की इजाजत भीष्म ने दी थी

जब राजभवन में कौरवों और पांडवो के बीच में द्युत क्रीड़ा होने का था यानी की चौसर खेलने की अनुमति देना था तो भी भीष्म ने अनुमति देकर सबसे बड़ी भूल करी थी। अगर भीष्म चाहते तो इस क्रीड़ा को रोक सकते थे। लेकिन चौसर के खेल की वजह से सब कुछ चौपट हो गया था। इसी को महाभारत का टर्निंग पॉइंट माना जाता है। भीष्म ने युधिष्ठर  को द्रौपती को दाव पर लगाने की इजाजत दी थी। यही सबसे बड़ी भूल थी और इस बात से पुख्ता हो गया था कि महाभारत का युद्ध होगा। अनजाने में ही सही युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और पत्नी को जुए में लगाकर युद्ध और विनाश के बीज बोए थे।

चीर हरण के समय भीष्म ने साधी चुप्पी

जब द्रौपती का चीर हरण हुआ था तो उस समय भी भीष्म चुप रहे थे और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण को महाभारत के युद्ध में कौरवों के खिलाफ खड़ा होने का फैसला किया था। महाभारत से पहले चीरहरण एक ऐसी घटना है जिसके वजह से सब प्रतिशोध की आग में चल रहे थे।

कर्ण ने सत्य छुपाया था

इस बात से भीष्म वाकिफ थे कि कर्ण पांडवों का ही भाई है लेकिन इस बात को उन्होंने कौरवों से छुपाकर रखी।  कर्ण का सत्य छुपाना भी महाभारत के युद्ध का एक बहुत ही बड़ा कारण थे। इस बात को भीष्म और श्रीकृष्ण दोनों जानते थे और छुपा रखी थी। जब युद्ध तय हो गया था तभी कर्ण ने यह बात जानी थी। कर्ण अपनी जातिगत हीनभावना के कारण वह अर्जुन और पांडवों से द्वैष करता रहा और दुर्योधन को हमेशा यह विश्वास दिलाता रहा कि युद्ध को तो मैं अकेला ही जीत लूंगा।

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श्रीकृष्ण की शान्ति प्रस्ताव पर चुप रहना

भीष्म पितामाह ही थे जो राजसिंहासन के रखवाले थे और राज कार्य के मामले में निर्णय लेने वाले थे। धृतराष्ट्र को उनकी हर बात को मानना ही होता था। जिस समय राज्य विभाजन को रोका जा सकता था उस समय उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था और इसी विभाजन के चक्कर में महाभारत के युद्ध के कारक पैदा हुए थे।